कानपुर जिले के विकास हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दूबे पर 60 संगीन मुकदमे चल रहे थे , लेकिन उप पुलिस को कुछ पता ही नहीं था कि एक हिस्ट्रीशीटर पर हर 6 महीने में एक कानूनी रिपोर्ट सरकार को भेजनी होती हैं , कि उस हिस्ट्रीशीटर का वर्तमान में क्या आचरण चल रहा हैं ,
लेकिन कुछ पुलिस अधिकारियों के साठगाथ से खुद पुलिस ही इन दबंगों अपराधियों की मदद करती हैं ,
थाने से जीप निकलने से पहले ही कुछ दलाल तरह के पुलिस कर्मचारी आतंक की तरह इरादे रखने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दूबे को ही सूचना दे देते हैं , जिससे उनके ही भाई शहीद हो जाते हैं ,
IPC की धारा 34 के अनुसार जब कोई अपराध कई व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है जैसे की अपराध उसके अकेले के द्वारा किया गया हो।
आतंकवादी विकास दुबेवा को दबिश से 4 घंटे पहले ही दबिश के बारे में इत्तिला करने वाला चौबेपुर थाना का प्रभारी गद्दार , देशद्रोही विनय तिवरिया को इतने संगीन अपराध के लिए क्या महज़ निलंबित किया जाना काफी है?
देशद्रोही विनय तिवरिया पर भी धारा 34 के अंतर्गत वो सभी धाराएं लगानी जानी चाहिए जो आतंकवादी विकास दुबे पर ठोकी गयी हैं। दुबेवा जैसे असामाजिक तत्वों को बल व अपराध करके बच जाने का हौसला, पुलिस व शासन-प्रशासन में बैठे गद्दार विनय तिवारिया जैसे गद्दार देशद्रोहियों के संरक्षण से मिलता है।
एक विनय तिवरिया को कड़ी से कड़ी सजा देकर इस गद्दार हरामी के जैसे तमाम हरामी गद्दार पुलिस वाले जो दलाली के खुमार में दुबेवा जैसे आतंकवादियों की जी हुज़ूरी कर देश में अपराध को बढ़ावा देकर देश से गद्दारी करते हैं , उन सभी के समक्ष उदहारण पेश कर उन्हें सबक दिया जाना चाहिए।
Ravindra Rao