निजी स्कूलों (private school ) में 25% गरीब बच्चों को संवैधानिक नियम के अनुसार मिलेगा स्कूल प्रवेश
निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 विधेयक संसद में पारित हुआ, जिसके अंतर्गत गरीब बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है अतः यह एक मौलिक अधिकार है संविधान के अनुच्छेद 45 में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य निशुल्क शिक्षक व्यवस्था प्रदान की गई है, यह शहरी व ग्रामीण सभी के लिए हैं ,
उत्तर प्रदेश के निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम वाली 2011 में संशोधन प्रस्ताव को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी इसके तहत निजी निजी स्कूलों में भी 25 परसेंट गरीब बच्चों को स्कूल प्रवेश और निशुल्क शिक्षा का अधिकार मिलता है,
इसकी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 23 जून 2017 एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अधिसूचना में उत्तर प्रदेश निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के प्रावधान को जोड़ दिया है,
राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी प्राइवेट निजी स्कूल ने 25 फ़ीसदी गरीब बच्चों की एडमिशन व शिक्षा होनी जरूरी के आदेश दे दिए गए हैं,
गरीब 25 परसेंट बच्चों कि दाखिले व शिक्षा संबंध शर्तें-
सरकार के आदेशानुसार जिन बच्चों के पिता की वार्षिक इनकम 40,000 से कम है, वह मार्च के महीने में एडमिशन हेतु प्रक्रिया में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, आवेदन कर्ता के पास आधार कार्ड जाति प्रमाण पत्र आवास प्रमाण पत्र इत्यादि का होना जरूरी है, आवेदन करता के पास 1से 2 किलोमीटर दूरी पर निवास होना जरूरी है अतः जिस विद्यार्थी के पास जो सबसे ज्यादा करीब होगा, उस बच्चे का दाखिला उसी स्कूल में ही होगा,

जो प्राइवेट स्कूल 25 परसेंट गरीब निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली का उल्लंघन कर रहे हैं,
उनकी जांच आरटीआई डालकर बीएसए के माध्यम से कराई जा सकती है, सभी भारतीयों निवासी से निवेदन है कि अपने अपने क्षेत्र के सभी निजी स्कूलों में 25 परसेंट शिक्षा एडमिशन होते हैं या नहीं अगर नहीं तो उन पर संविधानिक कार्रवाई की जाए, इसके लिए सभी जिले के BSA को आरटीआई के माध्यम से पता करसकते है ,
